
नारी
नारी
मैं जानती हूं कि मैं कौन हूं, मैं आदिपराशक्ति हूं,
मैं आरंभ का आरंभ हूं, अंत का अंत हूं,
मैं तुम और तुम्हारे भविष्य के बीच की सेतु भी हूं,
नजरअंदाज करने की हिम्मत नहीं तुममे,
मैं जानती हूं कि मैं कौन हूं।।
मेरी शक्ति अन्याय के खिलाफ खड़े होने में है,
मेरी शक्ति ज्वार को बदलने के धैर्य में भी है,
मेरी शक्ति मेरे असीम प्यार करने की क्षमता में है ,
मेरी शक्ति क्षमा कर आगे बढ़ने में भी है,
मेरी शक्ति तुमसे दूर जाकर भी तुम्हें समझने में है
मुझे केवल सम्मान मत दो,
मुझे केवल जगह मत दो,
मुझे स्थान दो अपने साथ ,
कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के लिए।
मैं समर्थन मांगती कमजोर काया नहीं हूं,
याद रखो ,हर बलात्कार के बाद, तुम भागते हो,
मैं नदी की तरह अपना रास्ता खोजती हूं,
सत्ता की भूलभुलैया में।
फिर भी, मैं एक पंखुड़ी की तरह कोमल हूं ,
क्योंकि मेरा आँचल तुम्हारे भविष्य का आश्रय है,
मुझे चकनाचूर तुम नहीं कर सकते,
क्योकि मैं जानती हूँ जीवन कैसे जिया जाता है,
जीवन के जश्न मनाती हूँ, मैं मेरे अस्तित्व से ।
स्वरचित एवं मौलिक,
©अपर्णा
मुंबई
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