
चाय

चाय
सफर हो खुशनुमा
और कुल्हड़ की चाय
चार दोस्त साथ हों
और अल्हड़ सी चाय
महकती हुई चाय
रिमझिम सी बरसात
गीली मिट्टी की सोधीं खुशबू
और सोधीं सोंधी चाय
रिश्तेदारों की आपस
में चुगली करती
घूँट घूँट
गला तर करती चाय
राजनीति की बातों से
शुरू होकर
तू-तू मै मैं से छनकर
आरोप प्रत्यारोप पर
उतरती चाय
साहित्य हो या कोई
गंभीर मंथन
चुपचाप प्यालों में
सबर करती चाय।
दोस्तों अजब सी
चीज है ये चाय
अकेले हों तो साथी सी
हर दिल अजीज है ये चाय।
मीनू यतिन
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