चाय

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

चाय

सफर हो खुशनुमा
और कुल्हड़ की चाय
चार दोस्त साथ हों
और अल्हड़ सी चाय

महकती हुई चाय
रिमझिम सी बरसात
गीली मिट्टी की सोधीं खुशबू
और सोधीं सोंधी चाय

रिश्तेदारों की आपस
में चुगली करती
घूँट घूँट
गला तर करती चाय

राजनीति की बातों से
शुरू होकर
तू-तू मै मैं से छनकर
आरोप प्रत्यारोप पर
उतरती चाय

साहित्य हो या कोई
गंभीर मंथन
चुपचाप प्यालों में
सबर करती चाय।

दोस्तों अजब सी
चीज है ये चाय
अकेले हों तो साथी सी
हर दिल अजीज है ये चाय। ‎

 

मीनू यतिन


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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

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चाय

सफर हो खुशनुमा
और कुल्हड़ की चाय
चार दोस्त साथ हों
और अल्हड़ सी चाय

महकती हुई चाय
रिमझिम सी बरसात
गीली मिट्टी की सोधीं खुशबू
और सोधीं सोंधी चाय

रिश्तेदारों की आपस
में चुगली करती
घूँट घूँट
गला तर करती चाय

राजनीति की बातों से
शुरू होकर
तू-तू मै मैं से छनकर
आरोप प्रत्यारोप पर
उतरती चाय

साहित्य हो या कोई
गंभीर मंथन
चुपचाप प्यालों में
सबर करती चाय।

दोस्तों अजब सी
चीज है ये चाय
अकेले हों तो साथी सी
हर दिल अजीज है ये चाय। ‎

 

मीनू यतिन


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