
कौन हैं?
कौन हैं?
यह कौन हैं जो दस्तक दिए जा रहा हैं,
सुन उसे मेरा दिल बैठा जा रहा हैं।
कौन हैं तूं ? जरा अपनी पहचान तो बता?
मैं हूं । जरा केवाड़ तो हटा।
मैं ना खोलूँ पट, पहले अपना नाम बता?
वो मंद-मंद मुस्काई और धीरे से बुधबूदाई, मैं हूं खुशी।
चली जा, मैं किसी खुशी को नहीं जानती,
तूं जरूर उस जादूगर की तरह होगी।
कौन जादूगर? किसकी बात कर रही हैं?
वही जिसने प्रेम का मंतर फूंका था?
खुशी ने दोबारा दस्तक दी
चली जा, तू जरूर कोई छलिया हैं।
मगर मुझे तुम्हारे केशव ने भेजा हैं।
केशव का नाम सुन मेरी आंखें भर आई।
खुशी ने धीरे से कहा अब तो खोल केवाड़।
मुझे उसने गले से लगाया और कहा,
तूं क्यों रोती हैं? माधव तुझे हर पल देख रहा है।
तेरे मन को पढ़ रहा है, तेरी पीड़ा समझ रहा है।
व्यर्थ की चिंता छोड़ और चल मेरे साथ,
देख, तेरे हरि ने तेरे लिए क्या-क्या सोचा हैं।
खुशी ने मेरा हाथ थामा,
और मैं चल पड़ी उसके साथ।
रचयिता स्वेता गुप्ता
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