एक वर्ष

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dineshkumar singh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

#StoryBerrys first anniversary, dedicated to creative head of StoryBerrys.

 

एक वर्ष

लिखना मेरी खुशी थी,

सो मैं लिखती चली गयी।

शुरुआत एक उपन्यास से हुई,

पर वो आदत सी बन गई।

 

कहीं, मन में कोई प्रेरणा,

करवट ले रही थी,

कुछ बड़ा कर, ऐसा

बार बार कह रही थी।

 

संकोच में थी,

थोड़ा घबराई भी,

हो पाएगा?

चल पाएगा?

थोड़ा असमंजस में

समाई भी।

 

फिर एक दिन

जज्बात ने जोश को

हवा दी,

कुछ करने की चाह से,

मैंने समंदर में,

छलांग लगा ली।

 

दिन बीतते गए,

लोग जुड़ते गए,

कारंवा बनता गया।

नए पुष्प भी खिले,

नई प्रतिभा भी मिले,

पेड़ बढ़ता गया।

 

एक बीज भी एक पौधा है,

अभी और बढ़ना है।

एक वर्ष ही हुआ अभी,

यह तो बस शुरुआत है।

अभी और मिलों

चलना है,

अभी और संवरना है।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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28 Jul 20241 min read

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#StoryBerrys first anniversary, dedicated to creative head of StoryBerrys.

 

एक वर्ष

लिखना मेरी खुशी थी,

सो मैं लिखती चली गयी।

शुरुआत एक उपन्यास से हुई,

पर वो आदत सी बन गई।

 

कहीं, मन में कोई प्रेरणा,

करवट ले रही थी,

कुछ बड़ा कर, ऐसा

बार बार कह रही थी।

 

संकोच में थी,

थोड़ा घबराई भी,

हो पाएगा?

चल पाएगा?

थोड़ा असमंजस में

समाई भी।

 

फिर एक दिन

जज्बात ने जोश को

हवा दी,

कुछ करने की चाह से,

मैंने समंदर में,

छलांग लगा ली।

 

दिन बीतते गए,

लोग जुड़ते गए,

कारंवा बनता गया।

नए पुष्प भी खिले,

नई प्रतिभा भी मिले,

पेड़ बढ़ता गया।

 

एक बीज भी एक पौधा है,

अभी और बढ़ना है।

एक वर्ष ही हुआ अभी,

यह तो बस शुरुआत है।

अभी और मिलों

चलना है,

अभी और संवरना है।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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