
हे कृष्ण, तुमसे प्रेम लगाऊँ।
हे कृष्ण, तुमसे प्रेम लगाऊँ।
बंट जाने से भी जो
बढ़ जाता है,
जिसके आने से
दुःख घट जाता है,
स्नेह ऐसा ही मैं पाऊँ।
हे कृष्ण,
तुमसे प्रेम लगाऊँ।
जिसके खातिर,
यमुना में छलांग लगाई थी।
जिनको बचाने,
गोवर्धन उठाई थी।
वह गइया, वह ग्वाल बाल
मैं बन जाऊं।
हे कृष्ण, बस
तुमसे प्रेम लगाऊँ।
जिसकी लाज बचाने
दौड़े चले आए थे।
जिस अर्जुन को
गीता गाकर सुनाए थे,
जिस भीम को
धृतराष्ट्र से बचाए थे,
ऐसा पांडव सखा
बन जाऊं।
हे कृष्ण, बस
तुमसे प्रेम लगाऊँ।
रचयिता
दिनेश कुमार सिंह
Photo by GIVE GITA: https://www.pexels.com/photo/the-statue-of-deity-krishna-with-lavish-decorations-13724077/
Comments (0)
Please login to share your comments.