एक माँ की पाती

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

एक माँ की पाती

उनकी शरारतें, उनका शोर, बिखरा कमरा चारो ओर,
हसी ठिठोली, बदमाशी बिन ओर छोर,
होते हैं शैतान बहुत, फिर भी समझते हैं सब कुछ,
ये बेफिक्र से रहने वाले बच्चे जब बड़े हो जाते हैं,
पिता का साया होते हैं
मां को पलको  पर बिठाते हैं
बडो़ का सम्मान करते हैं,
रिश्तो का मान  रखते हैं,
पिता के दिल का टुकड़ा
और माँ की जान होते हैं।

होली के रंग, दिवाली का प्रकाश  व्रत, त्योहारो का उल्लास,
स्नेह की मूरत, कुल की मर्यादा
खुशी, आत्मिक सुख, मुस्कान  होते हैं।
अस्तित्व होते हैं पहचान होते हैं ।
ईश्वर की कृपा,
शिव का वरदान होते हैं।
संतान तो अमूल्य है, इसका न कोई मोल है, ईश्वर का ये उपहार है, उपहार ये अनमोल है।।

 

रचयिता – मीनू यतिन

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28 Jul 20241 min read

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एक माँ की पाती

उनकी शरारतें, उनका शोर, बिखरा कमरा चारो ओर,
हसी ठिठोली, बदमाशी बिन ओर छोर,
होते हैं शैतान बहुत, फिर भी समझते हैं सब कुछ,
ये बेफिक्र से रहने वाले बच्चे जब बड़े हो जाते हैं,
पिता का साया होते हैं
मां को पलको  पर बिठाते हैं
बडो़ का सम्मान करते हैं,
रिश्तो का मान  रखते हैं,
पिता के दिल का टुकड़ा
और माँ की जान होते हैं।

होली के रंग, दिवाली का प्रकाश  व्रत, त्योहारो का उल्लास,
स्नेह की मूरत, कुल की मर्यादा
खुशी, आत्मिक सुख, मुस्कान  होते हैं।
अस्तित्व होते हैं पहचान होते हैं ।
ईश्वर की कृपा,
शिव का वरदान होते हैं।
संतान तो अमूल्य है, इसका न कोई मोल है, ईश्वर का ये उपहार है, उपहार ये अनमोल है।।

 

रचयिता – मीनू यतिन

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