आज राहुल घर आया है

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dineshkumar singh

30 Jul 20241 min read

Published in poetry

#REPUBLICDAY

आज राहुल घर आया है

 

आज राहुल घर आया है,

एक साल के बाद

उसका चेहरा नज़र आया है।

 

आज राहुल घर आया है।

 

वैसे हर दो दिन में, फोन पर

बातें हो जाती थी,

पर उससे मन कहाँ भरता,

हाँ आंखे भर आती थीं।

 

आना तो वह भी चाहता था,

छुट्टी की दरख्वास्त भी की थी,

पर एन मौके पर कुछ

काम निकल आता

और मिलने का वक्त

आगे खिसक जाता।

 

हां, हम राहुल के पापा है,

और हमारे राहुल पर

बहु बड़ी जिम्मेदारी है,

वह भारतीय सेना का

सिपाही है।

देश रक्षा का कर्तव्य

पिता प्रेम पर भारी है।

 

पर आज पिता प्रेम ने उसे

खींच लाया,

आज राहुल घर आया।

 

सब ओर भागदौड़ मची है,

स्वागत की तैयारी है।

उसके जयकारे में

डूबी सारी बिरादरी है।

 

पर वह बंद आंखे कर,

शांत है, अपने में सिमटा,

कितना सुंदर वह लग रहा वह

तिरंगे में लिपटा,

 

पर ये भाग्य,

कितना समय बचा है अब?

कितना देखूँ जी भरकर,

यह समझ नही आता है,

रोऊँ जी भरकर,

या गर्व महसूस करूँ,

मन भ्रमित हो जाता है।

 

मेरे जैसे लाखों राहुल के पिता,

इस दौर से गुजरते हैं।

कब, कैसे और किस रूप में होगी

राहुल से मुलाकात,

इस ख्याल से डरते हैं।

 

इस ख्याल से डरते हैं।

 

 

रचयिता

दिनेश कुमार सिंह

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आज राहुल घर आया है

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dineshkumar singh

30 Jul 20241 min read

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#REPUBLICDAY

आज राहुल घर आया है

 

आज राहुल घर आया है,

एक साल के बाद

उसका चेहरा नज़र आया है।

 

आज राहुल घर आया है।

 

वैसे हर दो दिन में, फोन पर

बातें हो जाती थी,

पर उससे मन कहाँ भरता,

हाँ आंखे भर आती थीं।

 

आना तो वह भी चाहता था,

छुट्टी की दरख्वास्त भी की थी,

पर एन मौके पर कुछ

काम निकल आता

और मिलने का वक्त

आगे खिसक जाता।

 

हां, हम राहुल के पापा है,

और हमारे राहुल पर

बहु बड़ी जिम्मेदारी है,

वह भारतीय सेना का

सिपाही है।

देश रक्षा का कर्तव्य

पिता प्रेम पर भारी है।

 

पर आज पिता प्रेम ने उसे

खींच लाया,

आज राहुल घर आया।

 

सब ओर भागदौड़ मची है,

स्वागत की तैयारी है।

उसके जयकारे में

डूबी सारी बिरादरी है।

 

पर वह बंद आंखे कर,

शांत है, अपने में सिमटा,

कितना सुंदर वह लग रहा वह

तिरंगे में लिपटा,

 

पर ये भाग्य,

कितना समय बचा है अब?

कितना देखूँ जी भरकर,

यह समझ नही आता है,

रोऊँ जी भरकर,

या गर्व महसूस करूँ,

मन भ्रमित हो जाता है।

 

मेरे जैसे लाखों राहुल के पिता,

इस दौर से गुजरते हैं।

कब, कैसे और किस रूप में होगी

राहुल से मुलाकात,

इस ख्याल से डरते हैं।

 

इस ख्याल से डरते हैं।

 

 

रचयिता

दिनेश कुमार सिंह

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