
मेरे बरामदे में लगा नीम का पेड़

मेरे बरामदे में लगा नीम का पेड़
मेरे बरामदे मे लगा वो नीम का पेड़
बहुत सुकून देता है वो हरा भरा पेड़
मेरे घर की खिड़की को घेर लेता है ।
कितनी ही तरह की चिडि़यों को बसेर देता है
गऱमियों की दुपहर मे अपनी
शीतल छाया तले
कितना आराम देता है वो घना घना पेड़
कितना सुदंर होता है वो पल
सुबह सवेरे पूजा करके,
जब माँ सूरज को अर्घ देती हैं
तुलसी और नीम पे जल चढा़ती हैं ।
अमरुद की चंचल डाली हो
या आम के छोटे पेड़ हुए
पिता के जैसे छोटे पेड़ पोधों को
सहारा दे संभालता है ,
जब भी मौसम मे
आँधी तूफान के थपेडे़ हुए ।
इसकी छाँव में खेले कूदे जो
उनको निहारा करता है
अपनी डाली मे उलझा के पतंग
बच्चों को इशारा करता है ।
इससे छन कर सूरज की
लाली फैल जाती है
चाँद झाँकता है ऊपर से
और चादँनी उतर आती है
बारिश की फुहारें
जब भी इसको नहलाती हैं
वो बूदें मिट्टी की खुशबू को
चारो तरफ फैलाती है ।
थोडी़ सी देख भाल और बहुत सा प्यार
इतनी ही चीजों से बना है
मेरी बगिया मेरा परिवार।।
मीनू यतिन
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