चुनावों का मौसम आ गया

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

चुनावों का मौसम आ गया

वादों का मौसम आ गया
दावों का मौसम आ गया
मेरे देश में फिर से देखो
चुनावों का मौसम आ गया
कितनी मीठी बोली देखो
झूठे सच्चे काम गिनाते
आकडो़ का पाठ पडा़ते
नेताओं का मौसम आ गया
सभा ,सदन के गलियारे
और लोकतंत्र भी राह निहारे
कितने चेहरे पे टिके हैं
हार जीत के दावे सारे
उँगली पे नीली स्याही
का मौसम आ गया
अनुमानों का खेल खेलते
टीवी और अखबार हैं
बात बहस में बदल जाती
मानो शोर भरा बाजार है
एक दूसरे की पोल खोलती
गवाही का मौसम आ गया।

इस दल से उस दल को दौडे़
इसको पकडे़,उसको छोडे़
कुरसी के चक्कर में
बेवफाई का मौसम आ गया।

वादों का मौसम आ गया
दावों का मौसम आ गया
मेरे देश में फिर से देखो
चुनावों का मौसम आ गया।।

 

मीनू यतिन

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चुनावों का मौसम आ गया

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

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चुनावों का मौसम आ गया

वादों का मौसम आ गया
दावों का मौसम आ गया
मेरे देश में फिर से देखो
चुनावों का मौसम आ गया
कितनी मीठी बोली देखो
झूठे सच्चे काम गिनाते
आकडो़ का पाठ पडा़ते
नेताओं का मौसम आ गया
सभा ,सदन के गलियारे
और लोकतंत्र भी राह निहारे
कितने चेहरे पे टिके हैं
हार जीत के दावे सारे
उँगली पे नीली स्याही
का मौसम आ गया
अनुमानों का खेल खेलते
टीवी और अखबार हैं
बात बहस में बदल जाती
मानो शोर भरा बाजार है
एक दूसरे की पोल खोलती
गवाही का मौसम आ गया।

इस दल से उस दल को दौडे़
इसको पकडे़,उसको छोडे़
कुरसी के चक्कर में
बेवफाई का मौसम आ गया।

वादों का मौसम आ गया
दावों का मौसम आ गया
मेरे देश में फिर से देखो
चुनावों का मौसम आ गया।।

 

मीनू यतिन

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