
माँ
#mothersday2022
माँ
कभी कुछ लिखा नही तुमको
ना कभी कुछ तुम्हारे बारे में,
शायद तुम इतने करीब हो मेरे
की रूह से रूह बतियाती है।
जो मैं हूँ सिर्फ अक्स हूँ तुम्हारा
जानती हूँ कितनी अलग हूँ तुमसे,
धीरे धीरे तुम सी ही लगती हूँ मै,
अंजाने ही जैसे कोई करामाती है।
कह नही पाती कुछ कभी तुम्हें,
कहने को तो आभार का सागर है,
आभार जता छोटा ही करूँगी मैं,
मेरी चिंता आज भी तुम्हें जगाती है।
आजकल कभी मैं माँ बन जाती हूँ,
और कभी तुम बच्चे सी अल्हड़,
जीवन का ये रूप भी सलोना है माँ,
तुम्हारा साथ सगरा की संगाती है।
स्वरचित एवं मौलिक
©अपर्णा
Photo by Kampus Production: https://www.pexels.com/photo/woman-in-white-dress-holding-the-hand-of-an-elderly-woman-8829148/
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