पिता

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namrata gupta

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

#HAPPYFATHERSDAY2022

 

पिता

पिता एक ऐसा पेड़ होता है
जिसके शाखाओं तले बच्चा चैन की नींद सोता है।
ये ‘पेड़ ‘ कभी सख्त तो कभी फूलो की डाली बन जाते है,
घर की जिम्मेदारियों को निभाते, पेड़ रूपी पिता की शाखायें झुक जाती हे
सबकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके कदम रुक नहीं पाते है।
कभी अपने बच्चों के लिए एक खेल या कभी एक खिलाडी बन जाते है,
अपने कंधे पे बिठाकर मेला दिखाते है पिता
ऊँगली पकड़कर पैर पर खड़े होना सिखाते है पिता।
प्यार करते है पिता पर जता नहीं पाते है
क्या -क्या सपने संजोय है आँखों मे अपने बच्चों के लिए बता नहीं पाते है
माँ अगर बच्चों के लिए नदिया है, तूफ़ान है
तो पिता अपने बच्चों के लिए खुला आसमान है।

 

नम्रता गुप्ता

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पिता

पिता एक ऐसा पेड़ होता है
जिसके शाखाओं तले बच्चा चैन की नींद सोता है।
ये ‘पेड़ ‘ कभी सख्त तो कभी फूलो की डाली बन जाते है,
घर की जिम्मेदारियों को निभाते, पेड़ रूपी पिता की शाखायें झुक जाती हे
सबकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके कदम रुक नहीं पाते है।
कभी अपने बच्चों के लिए एक खेल या कभी एक खिलाडी बन जाते है,
अपने कंधे पे बिठाकर मेला दिखाते है पिता
ऊँगली पकड़कर पैर पर खड़े होना सिखाते है पिता।
प्यार करते है पिता पर जता नहीं पाते है
क्या -क्या सपने संजोय है आँखों मे अपने बच्चों के लिए बता नहीं पाते है
माँ अगर बच्चों के लिए नदिया है, तूफ़ान है
तो पिता अपने बच्चों के लिए खुला आसमान है।

 

नम्रता गुप्ता

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