एक ध्रुव तारा ‘सुभाषचंद्र बोस’

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धनेश परमार

30 Jul 20242 min read

Published in poetry

#REPUBLICDAY

 

एक ध्रुव तारा ‘सुभाषचंद्र बोस’

 

23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के 127 वें जन्मदिन को  पराक्रम दिवस के रूप में देश भर में मनाया गया। भारत माता के इस जांबाज, सच्चे सपूत के नाम, उनके जन्मदिन पर मेरी शब्दांजलि…..

_______________________________________

 

धूसर है आसमां मगर (2) हर दिन एक ध्रुव तारा चमकता है

“सुभाष” नाम अमर रहे, सारा हिन्दुस्तान ये कहता है….. 

 

निर्भिक निडर था… बोस परिवार का बच्चा (2)

बन गया, भारत माँ का लाल, सपूत वह सच्चा….. 

 

देश की आज़ादी का सपना… जागती ऑंखों से वह देखता था (2)

“तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” (2)

गर्म जोशी से वह कहता था… 

 

सच्चे देशभक्तों के लिए… था वह देश का सच्चा देशभक्त (2)

फिरंगियों को दूर करने को तत्पर…

था गरम दल का नेता वह सख़्त….. 

था वह देश का सच्चा देशभक्त (2)

 

अडोल्फ हिटलर ने पुकारा पहले… सुभाष को ” नेताजी ” कहकर

कवि गुरु रवींद्र  ने पुकारा… नेताजी को ” देश नायक” कहकर (2) 

 

है शरीर गुम हो जाता मगर… कर्म अमर रह जाते हैं (2) 

ऐसे मानव नहीं बार बार जनमते 

युवाओं के मिसाल बन जाते हैं (2)

 

धूसर है आसमां मगर (2) हर दिन एक ध्रुव तारा चमकता है

“सुभाष” नाम अमर रहे, सारा हिन्दुस्तान ये कहता है…..

 

धनेश ‘परम’

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एक ध्रुव तारा ‘सुभाषचंद्र बोस’

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धनेश परमार

30 Jul 20242 min read

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एक ध्रुव तारा ‘सुभाषचंद्र बोस’

 

23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के 127 वें जन्मदिन को  पराक्रम दिवस के रूप में देश भर में मनाया गया। भारत माता के इस जांबाज, सच्चे सपूत के नाम, उनके जन्मदिन पर मेरी शब्दांजलि…..

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धूसर है आसमां मगर (2) हर दिन एक ध्रुव तारा चमकता है

“सुभाष” नाम अमर रहे, सारा हिन्दुस्तान ये कहता है….. 

 

निर्भिक निडर था… बोस परिवार का बच्चा (2)

बन गया, भारत माँ का लाल, सपूत वह सच्चा….. 

 

देश की आज़ादी का सपना… जागती ऑंखों से वह देखता था (2)

“तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” (2)

गर्म जोशी से वह कहता था… 

 

सच्चे देशभक्तों के लिए… था वह देश का सच्चा देशभक्त (2)

फिरंगियों को दूर करने को तत्पर…

था गरम दल का नेता वह सख़्त….. 

था वह देश का सच्चा देशभक्त (2)

 

अडोल्फ हिटलर ने पुकारा पहले… सुभाष को ” नेताजी ” कहकर

कवि गुरु रवींद्र  ने पुकारा… नेताजी को ” देश नायक” कहकर (2) 

 

है शरीर गुम हो जाता मगर… कर्म अमर रह जाते हैं (2) 

ऐसे मानव नहीं बार बार जनमते 

युवाओं के मिसाल बन जाते हैं (2)

 

धूसर है आसमां मगर (2) हर दिन एक ध्रुव तारा चमकता है

“सुभाष” नाम अमर रहे, सारा हिन्दुस्तान ये कहता है…..

 

धनेश ‘परम’

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