मेरी लाड़ली

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

मेरी लाड़ली

 

माँ की लाडली हो तुम,
पापा की प्यारी हो तुम,
भाई को अनमोल, और
घर की गूंजती किलकारी हो तुम।

 

मन जैसे सोना, सोने जैसा रूप।
रात अँधेरी आँखों में है,
चमकीली चेहरे की धूप है।

 

कुछ अलग बाकियों से,
कुछ मेलजोल खाती हो,
हॅसते हॅसते बीच में,
जब चेहरे पर मुस्कान तुम लाती हो।

आज ही के दिन, इस दुनिया में आई थी।
अपने साथ रंगत, उम्मीद और
सपने सजा के लाई थी।
कभी ना भुल पाने का वक़्त था वो,
जब तुम, माँ की उंगली पकड़ के
पहली दफ़ा मुस्कराई थी।

 

क्या तोहफ़ा दू तुम्हे,
तुमने ही तो मासी बनाया है हमें,
फिर भी यहीं कहना है,
मासी का प्यार लाड़ दुलार, आशीर्वाद
हमेशा तुम्हारे साथ रहना है।

 

 

(मेरी प्यारी भांजी के १८ जन्मदिन के अवसर पर।)

 

रचयिता – मीनू यतिन

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28 Jul 20241 min read

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मेरी लाड़ली

 

माँ की लाडली हो तुम,
पापा की प्यारी हो तुम,
भाई को अनमोल, और
घर की गूंजती किलकारी हो तुम।

 

मन जैसे सोना, सोने जैसा रूप।
रात अँधेरी आँखों में है,
चमकीली चेहरे की धूप है।

 

कुछ अलग बाकियों से,
कुछ मेलजोल खाती हो,
हॅसते हॅसते बीच में,
जब चेहरे पर मुस्कान तुम लाती हो।

आज ही के दिन, इस दुनिया में आई थी।
अपने साथ रंगत, उम्मीद और
सपने सजा के लाई थी।
कभी ना भुल पाने का वक़्त था वो,
जब तुम, माँ की उंगली पकड़ के
पहली दफ़ा मुस्कराई थी।

 

क्या तोहफ़ा दू तुम्हे,
तुमने ही तो मासी बनाया है हमें,
फिर भी यहीं कहना है,
मासी का प्यार लाड़ दुलार, आशीर्वाद
हमेशा तुम्हारे साथ रहना है।

 

 

(मेरी प्यारी भांजी के १८ जन्मदिन के अवसर पर।)

 

रचयिता – मीनू यतिन

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