बेमिसाल

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sweta gupta

30 Jul 20241 min read

Published in poetry

बेमिसाल

 

हर शाम देखा करेंगें हम सूरज को इस तरह ,

कि वो शर्मा कर चांदनी के पीछे छुप जाएंगे।

 

पूछने पर तारे टिम-टिम इशारा करेंगें ,

जो देर हो जाएं रात की चादर ओढ़ सो जाएंगे।

 

सुबह होने पर हम सूरज को फिर गले लगाएंगे,

लहरों पर दौड़, हम आसमान में छलांग लगाएंगे।

 

ज़ी उठेंगे अब कुछ इस तरहां से मेरे साहिब,

कि औरों के लिए हम बेमिसाल बन जाएंगे।

 

 

रचयिता, स्वेता गुप्ता

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sweta gupta

30 Jul 20241 min read

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बेमिसाल

 

हर शाम देखा करेंगें हम सूरज को इस तरह ,

कि वो शर्मा कर चांदनी के पीछे छुप जाएंगे।

 

पूछने पर तारे टिम-टिम इशारा करेंगें ,

जो देर हो जाएं रात की चादर ओढ़ सो जाएंगे।

 

सुबह होने पर हम सूरज को फिर गले लगाएंगे,

लहरों पर दौड़, हम आसमान में छलांग लगाएंगे।

 

ज़ी उठेंगे अब कुछ इस तरहां से मेरे साहिब,

कि औरों के लिए हम बेमिसाल बन जाएंगे।

 

 

रचयिता, स्वेता गुप्ता

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