
बेमिसाल
बेमिसाल
हर शाम देखा करेंगें हम सूरज को इस तरह ,
कि वो शर्मा कर चांदनी के पीछे छुप जाएंगे।
पूछने पर तारे टिम-टिम इशारा करेंगें ,
जो देर हो जाएं रात की चादर ओढ़ सो जाएंगे।
सुबह होने पर हम सूरज को फिर गले लगाएंगे,
लहरों पर दौड़, हम आसमान में छलांग लगाएंगे।
ज़ी उठेंगे अब कुछ इस तरहां से मेरे साहिब,
कि औरों के लिए हम बेमिसाल बन जाएंगे।
रचयिता, स्वेता गुप्ता
Comments (0)
Please login to share your comments.