स्त्री हूँ मैं

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

#InternationalWomensDay2022

स्त्री  हूँ  मैं

ऐसी हूँ  या वैसे हूँ 
तुम क्या जानो मैं कैसी हूँ 
तुम मेरी मत परिभाषा दो
मैं बस अपने जैसी हूँ
तुम मत मेरा गुण गान करो
तुम बस मेरा सम्मान  करो

तुम मुझको मत सीमित रखो
बाधँ  सकोगे  न मुझको
सागर की गहराई हूँ
मैं हवा के जैसी हूँ
दुर्गा भी मैं ,राधा भी हूँ 
बच्चे की पहली  बोली मैं
भाई की कलाई का धागा हूँ
सेवा भाव मुझसे है
चाहे पुत्री हूँ  या माता हूँ
आस्था है मुझसे
भक्ति भी मैं
सौंदर्य भी मैं  ऐश्वर्य भी हूँ
शिव की शक्ति
नवरात्रि का पर्व  भी हूँ
प्रकृति भी हूँ
ईश्वर  की अनुपम कृति  हूँ मैं
मुझे है गर्व कि स्त्री हूँ  मैं ।।

 

मीनू यतिन

 

Photo by Samarth Singhai from Pexels

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स्त्री हूँ मैं

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

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#InternationalWomensDay2022

स्त्री  हूँ  मैं

ऐसी हूँ  या वैसे हूँ 
तुम क्या जानो मैं कैसी हूँ 
तुम मेरी मत परिभाषा दो
मैं बस अपने जैसी हूँ
तुम मत मेरा गुण गान करो
तुम बस मेरा सम्मान  करो

तुम मुझको मत सीमित रखो
बाधँ  सकोगे  न मुझको
सागर की गहराई हूँ
मैं हवा के जैसी हूँ
दुर्गा भी मैं ,राधा भी हूँ 
बच्चे की पहली  बोली मैं
भाई की कलाई का धागा हूँ
सेवा भाव मुझसे है
चाहे पुत्री हूँ  या माता हूँ
आस्था है मुझसे
भक्ति भी मैं
सौंदर्य भी मैं  ऐश्वर्य भी हूँ
शिव की शक्ति
नवरात्रि का पर्व  भी हूँ
प्रकृति भी हूँ
ईश्वर  की अनुपम कृति  हूँ मैं
मुझे है गर्व कि स्त्री हूँ  मैं ।।

 

मीनू यतिन

 

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