फासलों ने पूछा

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sweta gupta

22 Aug 20241 min read

Published in poetry

फासलों ने पूछा, क्यों नहीं करते मुलाकातें नई?
हमनें कहा, हमें औरों की बड़ी फ़िक्र हैं।

फासलों ने पूंछा, यह कैसी फ़िक्र हैं तेरी?
हमनें कहा, सुलगते ज़ख्मों में जल ना जाएं कोई।

फासलों ने पूछा, कब तक साथ निभाउ मैं तेरा?
हमनें कहा, नज़दीकियों ने बेचैनियां ही हैं बढ़ाई,
इसलिए तेरे संग मैं आई,
तूं ना कर अब मुझसे बेवफाई।

फासलों ने पूंछा, आगे क्या करने का हैं इरादा?
हमनें कहा, भींगे पलकों को हैं सुखाना,
अपनी मासूमियत को हैं बचाना,
इसलिए तों ख़ुदको हैं छुपाना,
तूं ना अब मुझसे उलझना।

फसलों ने पूंछा, तुम क्यों लिखते हों ऐसे नज़्म,
हमनें कहा, लिखना तों एक बहाना हैं,
मुझे अपने ग़म को निकालना हैं,
इसलिए तो रुखसत किए जा रहीं हूं,
इन सब को छोड़ आगे बढ़ते जा रहीं हूं।

फासलों ने उदासी से पूछा,
तो क्या ग़म निकलना के बाद,
तुम मुझे भूल जाओगी,
मुझसे दामन छोड़ जाओगी?
मुस्कुराते हुएं हमनें कहां,
जब कोई नहीं था साथ मेरा,
एक तूने हीं था मुझे संभाला।
तूं क्यों सोच मुझसे फासला बनाता है,
क्यों नहीं मेरे करीब आता हैं?
फासले ने फिर पलकें झुकाए और धीरे से मुस्कुराए।

 

रचयिता स्वेता गुप्ता

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फासलों ने पूछा

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22 Aug 20241 min read

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फासलों ने पूछा, क्यों नहीं करते मुलाकातें नई?
हमनें कहा, हमें औरों की बड़ी फ़िक्र हैं।

फासलों ने पूंछा, यह कैसी फ़िक्र हैं तेरी?
हमनें कहा, सुलगते ज़ख्मों में जल ना जाएं कोई।

फासलों ने पूछा, कब तक साथ निभाउ मैं तेरा?
हमनें कहा, नज़दीकियों ने बेचैनियां ही हैं बढ़ाई,
इसलिए तेरे संग मैं आई,
तूं ना कर अब मुझसे बेवफाई।

फासलों ने पूंछा, आगे क्या करने का हैं इरादा?
हमनें कहा, भींगे पलकों को हैं सुखाना,
अपनी मासूमियत को हैं बचाना,
इसलिए तों ख़ुदको हैं छुपाना,
तूं ना अब मुझसे उलझना।

फसलों ने पूंछा, तुम क्यों लिखते हों ऐसे नज़्म,
हमनें कहा, लिखना तों एक बहाना हैं,
मुझे अपने ग़म को निकालना हैं,
इसलिए तो रुखसत किए जा रहीं हूं,
इन सब को छोड़ आगे बढ़ते जा रहीं हूं।

फासलों ने उदासी से पूछा,
तो क्या ग़म निकलना के बाद,
तुम मुझे भूल जाओगी,
मुझसे दामन छोड़ जाओगी?
मुस्कुराते हुएं हमनें कहां,
जब कोई नहीं था साथ मेरा,
एक तूने हीं था मुझे संभाला।
तूं क्यों सोच मुझसे फासला बनाता है,
क्यों नहीं मेरे करीब आता हैं?
फासले ने फिर पलकें झुकाए और धीरे से मुस्कुराए।

 

रचयिता स्वेता गुप्ता

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