
लता मंगेशकर जी को एक श्रदांजलि
लता मंगेशकर जी को एक श्रदांजलि
दुखदायी होता है वो चरण,
लंबे जीवन के बाद हो
जो मरण।
पर क्यूं विचलित हो?।।2।।
थोड़ा यूँ भी सोच,
शुरू हो रहा,
जीवन का नया संस्करण।।2।।
नदी तो बहती जाती है,
सागर में अंततः समाती है।
लहरें जो समंदर में उछलती है,
गिरकर उसी में खो जाती है।
आखिरी निवेदन कर,
जीव चल रहा प्रभु के शरण।
शुरू हो रहा,
जीवन का नया संस्करण।।2।।
वेदना का रूख मोड़ दे,
शोक का आवरण छोड़ दे,
सूर्य चमका उसका जी
भरकर,
अब समय सूर्यास्त का,
यह मृत्यु नहीं,
पर हो रहा उसका तारण।
शुरू हो रहा,
जीवन का नया संस्करण।।2।।
दिनेश कुमार सिंह
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