बारिश की बूंदे

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namrata gupta

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

बारिश की बूंदे

जब खिड़की खोलू तो तब अंदर आती है बूंदे बारिश की
सूरज के खिलाफ की साज़िश कि कहानी बताती है बूंदे बारिश की
एक तरफ बदलो से बिछुडने का दुःख है उनमे
पर दूसरी तरफ संतुष्टि भी है धरती से मिलन की ….

आसमान से धरती तक की इस राह मे
भूमि से मिलन की इस अतृप्त चाह मे…
बदल का घूंघट ओढ़ सूरज से छिपते हुए
अजीब से फुर्ती पाई थी बूंदों ने ज़मीन पे गिरते हुए….

भूमि से मिलन की कहानी बूंदे सुनती है
जीत के गीत धीरे-धीरे गुनगुनाती है…

सारे बंधंनो को तोड़
बचाया भूमि को सूरज के प्रलय से
तृप्त किया भूमि को अपने सफल प्रणय से…

 

नम्रता गुप्ता

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namrata gupta

16 Aug 20241 min read

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बारिश की बूंदे

जब खिड़की खोलू तो तब अंदर आती है बूंदे बारिश की
सूरज के खिलाफ की साज़िश कि कहानी बताती है बूंदे बारिश की
एक तरफ बदलो से बिछुडने का दुःख है उनमे
पर दूसरी तरफ संतुष्टि भी है धरती से मिलन की ….

आसमान से धरती तक की इस राह मे
भूमि से मिलन की इस अतृप्त चाह मे…
बदल का घूंघट ओढ़ सूरज से छिपते हुए
अजीब से फुर्ती पाई थी बूंदों ने ज़मीन पे गिरते हुए….

भूमि से मिलन की कहानी बूंदे सुनती है
जीत के गीत धीरे-धीरे गुनगुनाती है…

सारे बंधंनो को तोड़
बचाया भूमि को सूरज के प्रलय से
तृप्त किया भूमि को अपने सफल प्रणय से…

 

नम्रता गुप्ता

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