चालीस के पार.

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

चालीस के पार.

आँखों पर चढ़ चुका चश्मा ,सफेद होते बाल
बढ़ता हुआ वजन, चीनी  कम, नमक कम!
कभी दर्द , कभी तकलीफ
कभी चोट कभी मरहम
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

जो ऊर्जा वाले दिन , जोश जुनून वाले दिन
खेल खेल में निकल ग ए सुकून वाले दिन
आगे अब मिलेगें जिम्मेदारी वाले साल
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

बुजुर्ग होते माँ -बाप, उनकी अपनी बातें
बढ़ते हुए बच्चे ,और उनके सुनहरे ख्वाब
खुद ही लेके चलना होगा सब को एक साथ
और खुद ही करना होगा पल पल का हिसाब
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

अपने सपने भी तो खडे़ कतार में
खुद के लिए भी फुर्सत रखना
कम से कम इतवार में
काम की भागदौड़  में आगे बढ़ने की होड़ में
रिश्तों की रस्साकशी में
भावनाओं के शोर में
जीना इस उम्र को भी भरपूर खुशी से
दोस्ती में प्यार में, और परिवार में
देना उपर वाले को जीवन के हर पल का आभार
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार।

 

मीनू यतिन

 

 

Photo by Alexander Krivitskiy: https://www.pexels.com/photo/woman-wearing-black-framed-eyeglasses-6471726/

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चालीस के पार.

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चालीस के पार.

आँखों पर चढ़ चुका चश्मा ,सफेद होते बाल
बढ़ता हुआ वजन, चीनी  कम, नमक कम!
कभी दर्द , कभी तकलीफ
कभी चोट कभी मरहम
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

जो ऊर्जा वाले दिन , जोश जुनून वाले दिन
खेल खेल में निकल ग ए सुकून वाले दिन
आगे अब मिलेगें जिम्मेदारी वाले साल
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

बुजुर्ग होते माँ -बाप, उनकी अपनी बातें
बढ़ते हुए बच्चे ,और उनके सुनहरे ख्वाब
खुद ही लेके चलना होगा सब को एक साथ
और खुद ही करना होगा पल पल का हिसाब
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार ।

अपने सपने भी तो खडे़ कतार में
खुद के लिए भी फुर्सत रखना
कम से कम इतवार में
काम की भागदौड़  में आगे बढ़ने की होड़ में
रिश्तों की रस्साकशी में
भावनाओं के शोर में
जीना इस उम्र को भी भरपूर खुशी से
दोस्ती में प्यार में, और परिवार में
देना उपर वाले को जीवन के हर पल का आभार
बहुत कुछ बदल जाता है चालीस के पार।

 

मीनू यतिन

 

 

Photo by Alexander Krivitskiy: https://www.pexels.com/photo/woman-wearing-black-framed-eyeglasses-6471726/

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