
इस ख़ामोशी में शोर क्यों है?
इस ख़ामोशी में शोर क्यों है?
इस ख़ामोशी में शोर क्यों है?
तेरे मेरे बीच चुप्पी का चोर क्यों है?
क्यों नहीं मुझे तू समझ पा रहा,
चारो तरफ नासमझी का दौर क्यो है?
क्यों नहीं बोल पा रही मेरी तकलीफ़े?
तेरी आँखों में कोई और क्यों है?
क्यों नही मेरी गोद में सर तू रख रहा,
हमारा प्यार हालातों से कमज़ोर क्यों है?
क्यों नहीं मैं तुझसे लड़कर जीत रही,
मेरी नासमझी पर तुझे इतना गौर क्यो है?
क्यों नहीं बाहों के घेरे डाल रहा तू,
जाने की तैयारी में ये ज़ोर शोर क्यों है?
दर्द ज़िद पर अड़ा सबको बताएगा,
लब चुप, आंखे दर्द से सराबोर क्यों है?
क्यों फिर शुरुआत नामुमकिन हो चली,
बस इस खामोशी के हाथों बागडोर क्यों है?
स्वरचित एवं मौलिक
©️अपर्णा
मुंबई
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