कुछ जोख़िम लें

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aparna ghosh

19 Aug 20241 min read

Published in poetry

कुछ जोख़िम लें

 

जीवन का गणित खूब खेल लिया,

हर क्षण का दिया अचूक हिसाब,

चलो उठा लें जोखिम का झोला,

अब लें जिंदगी के मज़े जनाब,

 

कुछ रूढ़िबद्धता छोड़कर बस,

साहस जीवन से जोड़ना होगा,

कुछ सीखे नियमों को तोड़कर,

नए क्षितिजों को कोड़ना होगा,

 

अपने मन के डर से लड़कर,

बाधाओं पर विजय पाएंगे,

कई बार प्रयत्न करने वाले ही,

अंत में बाज़ी मार जाएंगे,

 

फिर ख़ुद से साक्षात्कार करेंगे,

कभी सागर,कभी पहाड़ों में,

निज प्रकाश में होंगे जगमग,

भटकेंगें ना बाह्य सहारों में,

 

ज़रूरी बस जोख़िम का जस्बा,

बदल दे नीरस जीवन का स्वाद,

क्या मिलेगा डर डर के जीने से,

इच्छाओं के नभ में उड़े आज़ाद।।

 

स्वरचित एवं मौलिक

© अपर्णा

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कुछ जोख़िम लें

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aparna ghosh

19 Aug 20241 min read

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कुछ जोख़िम लें

 

जीवन का गणित खूब खेल लिया,

हर क्षण का दिया अचूक हिसाब,

चलो उठा लें जोखिम का झोला,

अब लें जिंदगी के मज़े जनाब,

 

कुछ रूढ़िबद्धता छोड़कर बस,

साहस जीवन से जोड़ना होगा,

कुछ सीखे नियमों को तोड़कर,

नए क्षितिजों को कोड़ना होगा,

 

अपने मन के डर से लड़कर,

बाधाओं पर विजय पाएंगे,

कई बार प्रयत्न करने वाले ही,

अंत में बाज़ी मार जाएंगे,

 

फिर ख़ुद से साक्षात्कार करेंगे,

कभी सागर,कभी पहाड़ों में,

निज प्रकाश में होंगे जगमग,

भटकेंगें ना बाह्य सहारों में,

 

ज़रूरी बस जोख़िम का जस्बा,

बदल दे नीरस जीवन का स्वाद,

क्या मिलेगा डर डर के जीने से,

इच्छाओं के नभ में उड़े आज़ाद।।

 

स्वरचित एवं मौलिक

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