
सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं।

सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं।
सुना है ,तूफान कहीं तुझमें पलते हैं
सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं
किनारे पे बैठ कर ख्याल क्या बुनें
लहरों के आने जाने की क्या गिनतियाँ करें
बस यही सोच के ऐ दोस्त ,तुझमें उतरते हैं
सोचा के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं ।
तेरा मन कभी भर आए तो उछाल देता है
न जाने कितनी चीजों को तू पनाह देता है
देखें भला क्या है छिपा तेरे अंदर
क्यों जहाँ तेरी गहराई की मिसाल देता है
नाप लूँ तेरी गहराई,
जान लूँ तुझे समंदर
तेरी मौजौं के हवाले खुद को करते हैं
बस यही सोच के ऐ दोस्त तुझमें उतरते हैं
सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं ।
मुझे अपने आगोश में ले रही हैं
तेरी लहरें मेरे संग खेल रही हैं
बहुत खूबसूरत है
तेरे भीतर की दुनिया
जहाँ तक जाती हैं नजरें तू ही तू है
तू बेहद है मगर तेरी भी हद है
तू जोड़ता है, और बाटताँ है,
मुल्कों को
तू खुद भी राह है ,
जमीन की सरहद है
बस यही सोच के ऐ दोस्त तुझमें उतरते हैं
सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं।
सोचा, के समंदर तुझसे मिलते चलते हैं।
मीनू यतिन
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