अटल संकल्प, दशरथ मांझी

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namrata gupta

3 Sept 20243 min read

Published in travel

अटल संकल्प, दशरथ मांझी

 

गया, बिहार का एक प्रसिद्ध जिला , जहाँ कुछ दिनों पहले मैं अपने पूरे परिवार के साथ भ्रमण करने गई थी
वहाँ पर बहुत सारे धार्मिक स्थल है, बाहर से भी टूरिस्ट (tourist) यहाँ घूमने आते है , पिंड दान करने आते है |

मैं और मेरा परिवार एक traveller bus से गया दर्शन कर रहे थे , अचानक रास्ते मे हमारी नज़र पहाड़ से कटे एक “रास्ते” पर पड़ी |मन व्याकुल हो उठा उस “रास्ते ” को देखने के लिए | हमने ड्राइवर को बोला की थोड़ी देर के लिए bus को रोके |फिर सभी लोग उस “रास्ते “की ओर बढ़ने लगे।

दरअसल इस पहाड़ को काट कर बनाये गए रास्ते के बारे मै आज तक हमने सुना था , आज देखने का अवसर मिला |पहाड़ को काट कर इस रास्ते को बनाने वाले मसीहा का नाम दशरथ मांझी था |

दशरथ मांझी का जन्म १४ जेनुअरी (January) १९२९ मे बिहार मे गया के करीब गहलोर गांव मे हुआ था | दशरथ मांझी एक गरीब मजदूर थे, उनकी पत्नी का नाम फगुनी देवी था | दशरथ मांझी को “माउंटेन मैन” (mountain man) के नाम से भी जाना जाता है | इन्हे ‘माउंटेन मैन’ इसलिए कहा जाता था क्यूँकि दशरथ मांझी ने अकेले ही एक पहाड़ को छेनी और हथौड़े से २२ सालो तक काट कर रास्ता बनाया था |




ये भी जिज्ञासा का विषय है की इन्होंने आखिर पहाड़ क्यों काटा ? दरअसल दशरथ मांझी की पत्नी रोज पहाड़ को पार कर दशरथ मांझी के लिए खाना और पानी लेकर जाती जाती थी| एक दिन खाना ले जाने के दौरान पहाड़ पर मिट्टी का घड़ा गिर गया और पैर फिसलने से फगुनी देवी गिर गयी, बाद मे उनकी मौत हो गयी | उनकी मौत से दशरथ मांझी का मन बहुत आहत हुआ और उन्होंने पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने का संकल्प ले लिया, और रास्ता बनाने मे सफल भी हुए | इनकी इस सफलता से लोग काफी लाभान्वित हुए लोगों को आने जाने मे अब मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है |

दशरथ मांझी की मृत्यु १७ अगस्त २००७ को हुई | २०१५ मे दशरथ मांझी के ऊपर “मांझी-द माउंटेन मैन “के नाम से एक फिल्म भी बनी है |

पहाड़ को काटकर बनाया गया यह रास्ता अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है ,यह उदाहरण है मानव संकल्प शक्ति का, यह उदाहरण है एक साधारण इंसान का अपने पत्नी के प्रति असीम प्यार की | 

सत सत नमन है दशरथ मांझी को |

 

 

नम्रता गुप्ता

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अटल संकल्प, दशरथ मांझी

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गया, बिहार का एक प्रसिद्ध जिला , जहाँ कुछ दिनों पहले मैं अपने पूरे परिवार के साथ भ्रमण करने गई थी
वहाँ पर बहुत सारे धार्मिक स्थल है, बाहर से भी टूरिस्ट (tourist) यहाँ घूमने आते है , पिंड दान करने आते है |

मैं और मेरा परिवार एक traveller bus से गया दर्शन कर रहे थे , अचानक रास्ते मे हमारी नज़र पहाड़ से कटे एक “रास्ते” पर पड़ी |मन व्याकुल हो उठा उस “रास्ते ” को देखने के लिए | हमने ड्राइवर को बोला की थोड़ी देर के लिए bus को रोके |फिर सभी लोग उस “रास्ते “की ओर बढ़ने लगे।

दरअसल इस पहाड़ को काट कर बनाये गए रास्ते के बारे मै आज तक हमने सुना था , आज देखने का अवसर मिला |पहाड़ को काट कर इस रास्ते को बनाने वाले मसीहा का नाम दशरथ मांझी था |

दशरथ मांझी का जन्म १४ जेनुअरी (January) १९२९ मे बिहार मे गया के करीब गहलोर गांव मे हुआ था | दशरथ मांझी एक गरीब मजदूर थे, उनकी पत्नी का नाम फगुनी देवी था | दशरथ मांझी को “माउंटेन मैन” (mountain man) के नाम से भी जाना जाता है | इन्हे ‘माउंटेन मैन’ इसलिए कहा जाता था क्यूँकि दशरथ मांझी ने अकेले ही एक पहाड़ को छेनी और हथौड़े से २२ सालो तक काट कर रास्ता बनाया था |




ये भी जिज्ञासा का विषय है की इन्होंने आखिर पहाड़ क्यों काटा ? दरअसल दशरथ मांझी की पत्नी रोज पहाड़ को पार कर दशरथ मांझी के लिए खाना और पानी लेकर जाती जाती थी| एक दिन खाना ले जाने के दौरान पहाड़ पर मिट्टी का घड़ा गिर गया और पैर फिसलने से फगुनी देवी गिर गयी, बाद मे उनकी मौत हो गयी | उनकी मौत से दशरथ मांझी का मन बहुत आहत हुआ और उन्होंने पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने का संकल्प ले लिया, और रास्ता बनाने मे सफल भी हुए | इनकी इस सफलता से लोग काफी लाभान्वित हुए लोगों को आने जाने मे अब मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है |

दशरथ मांझी की मृत्यु १७ अगस्त २००७ को हुई | २०१५ मे दशरथ मांझी के ऊपर “मांझी-द माउंटेन मैन “के नाम से एक फिल्म भी बनी है |

पहाड़ को काटकर बनाया गया यह रास्ता अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है ,यह उदाहरण है मानव संकल्प शक्ति का, यह उदाहरण है एक साधारण इंसान का अपने पत्नी के प्रति असीम प्यार की | 

सत सत नमन है दशरथ मांझी को |

 

 

नम्रता गुप्ता

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