राजभाषा हिंदी

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धनेश परमार

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

राजभाषा हिंदी

 

मैं हिंदी हूं, मैं जैसी हूं, वैसी ही दिखती हूं ।
मैं जैसी दिखती हूं, वैसा ही कहती हूं ।
मैं जैसा कहती हूं, वैसा ही तुम सुनते हो ।
जैसा तुम सुनते हो, वैसा ही लिखते हो ।
जैसा तुम लिखते हो, वैसा ही पढ़ते हो ।
मैं कभी कुछ साइलेंट नहीं रखती हूं ।
मैं कभी अपनी तरफ से कुछ नहीं जोड़ती हूं ।
मैं कभी किसी से गलत नहीं बोलती हूं ।
मैं कभी किसी को गलत नहीं बोलने देती हूं ।
जैसा लिखा है, वैसा ही उच्चारण करती हूं ।
मैं छोटे से छोटे बिंदु, का भी ख्याल रखती हूं ।
मैं चिता और चिंता का, अंतर समझती हूं ।
मैं सभी भाषाओं को, अपना ही समझती हूं ।
मैं कप प्लेट को भी, अपनी शब्दावली समझती हूं ।
क्योंकि; मैं हिन्दी हूं, सबके दिलों में रहती हूं ।

आप सभी को राजभाषा हिंदी दिवस की शुभकामनायें ।

जय हिंद  …जय हिंदी …जय भारत …!

 

धनेश परमार

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राजभाषा हिंदी

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धनेश परमार

29 Jul 20241 min read

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राजभाषा हिंदी

 

मैं हिंदी हूं, मैं जैसी हूं, वैसी ही दिखती हूं ।
मैं जैसी दिखती हूं, वैसा ही कहती हूं ।
मैं जैसा कहती हूं, वैसा ही तुम सुनते हो ।
जैसा तुम सुनते हो, वैसा ही लिखते हो ।
जैसा तुम लिखते हो, वैसा ही पढ़ते हो ।
मैं कभी कुछ साइलेंट नहीं रखती हूं ।
मैं कभी अपनी तरफ से कुछ नहीं जोड़ती हूं ।
मैं कभी किसी से गलत नहीं बोलती हूं ।
मैं कभी किसी को गलत नहीं बोलने देती हूं ।
जैसा लिखा है, वैसा ही उच्चारण करती हूं ।
मैं छोटे से छोटे बिंदु, का भी ख्याल रखती हूं ।
मैं चिता और चिंता का, अंतर समझती हूं ।
मैं सभी भाषाओं को, अपना ही समझती हूं ।
मैं कप प्लेट को भी, अपनी शब्दावली समझती हूं ।
क्योंकि; मैं हिन्दी हूं, सबके दिलों में रहती हूं ।

आप सभी को राजभाषा हिंदी दिवस की शुभकामनायें ।

जय हिंद  …जय हिंदी …जय भारत …!

 

धनेश परमार

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