
अंत में आरंभ हैं

अंत में आरंभ हैं
रौनकें बसती थीं जहाँ
आज बस खंडहर है बाकी ।
आसमान देखता है सब
देता है गवाही बीते कल की।
बिखरे पन्नें समेटता है
इतिहास खंगालता है ।
समय का काम बदलना है
प्रकृति साथ है इसके
महलों को धूल कर देता है
फिर कुछ नया बनाता है ।।
हर चीज का एक अंत है
और हर अंत में
एक आरंभ है ।
किलें हो या कभी महल
वक्त के साथ ढह जाता है।
कुछ ईंट पत्थरों के
रह जाते अवशेष , शेष
टूटे गर्व के कही स्तंभ है ।
अपने अक्स को
कैसे निहारता है ।
अपने आज में
बीता कल तलाशाता है।
देता है एक संदेश।
जीवन का एक चक्र है
समय की अपनी चाल
आकाश और धरती रह जाते हैं
बदलता है केवल परिवेश ।।
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