
बरसात
#MONSOON2022
बरसात
पानी ऐसे बरसा,
जैसे वो गुस्साया हो,
तेज हवाओं में ऐसे
बढ़ता, जैसे कोई
हाथी बौराया हो।
मौसम बदल गया है,
बूंदों की टप टप नही,
थपेड़ो के थड थड में
बरसात ढल गया है।
अब धीमे धीमे, वह
नही आता है,
पर अचानक ही
प्रकट हो जाता है।
हाहाकार मचाता,
कुछ पल में,
सब डुबो जाता है।
कभी तो देर से आता है,
और पानी पानी को
तरसाता है।
और कभी कभी,
इक हफ्तों में,
महीने भर का
बरस जाता है।
कैसे बदले इस
जलवायु परिवर्तन को,
कुछ समझ में नहीं
आता है।
तब तक, इसके रौद्र रूप से
जी बहुत घबराता है।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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