
हमारा वहम
हमारा वहम
यह हमारा वहम है
कि हम, अहम है।
एक दिन में हम
जितनी साँस लेते हैं,
हमारी पुरी जिंदगी में
दिन, उससे भी कम है।
फिर भी हमें वहम है
कि हम, अहम है।
जीवन की अहमियत को
अगर समझना हो तो,
दिन गिनना शुरू कर दो।
आज को आखिरी दिन
समझकर, उसमें खुशियाँ
भरना शुरू कर दो।
सब छोड़ कर यहाँ
खाली हाथ जाना है,
फिर काहे का ग़म है।
जब तक सांस चले,
तब तक तुम हो,
तब तक हम है।
फिर काहे का कौन,
किसका, क्या है, कब है।?
सारे रिश्ते नाते भी ख़तम है।
हम अहम है।
यह एक वहम है।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
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