
बेवफाई और तन्हाई
बेवफाई और तन्हाई
आज फिर उठा लिया जाम थरथराते हाथों ने
फिर वही दिल की नाकाम कोशिश तुझे भुलाने के लिये,
अब फिक्र नहीं इन जिंदगी के तूफानों से,
बस तेरी एक याद ही काफी है दिल जलाने के लिये।
वक़्त बेवक्त बिना पूछे चले आते हैं ये आँसू
कम्बख्त बरसात भी तो नहीं होती रोज इन्हें छुपाने के लिये,
रात-दिन और अब महफिल की परवाह भी नहीं करते ये,
मैं खुद ही निकल पड़ता हूँ बाहर इन्हें सुखाने के लिये ।
मेरे दिल की तड़प को तुम क्या समझोगे ए सितमगर,
पास एक तस्वीर भी तो ना छोड़ी तूने मन बहलाने के लिये।
तन्हाईयों का दामन पकड़कर कट रहा है जिंदगी का सफर
नहीं कोई अपना अब, दिल के जख्म सहलाने के लिये।
इतनी वीरान हो जाएगी जिंदगी तेरे जाने से, इसका अंदाजा भी ना था
कोई नहीं बचा अब मेरा इस उजड़े दिल की दुनिया सवाँरने के लिये
गिला किसी और से नहीं बस उस खुदा से है कि
जब तोड़ना ही था तो दिल क्यूँ दिया यादें बसाने के लिये।
क्या ऐसे ही बीत जाएगी ये जिंदगी तेरे इंतज़ार में
क्या ऐसे ही पल पल मरना होगा मुझे जीने के लिये
बस एक बार आकर कह दे कि हाँ बेवफाई की है,
शायद आसाँ हो जाये वो रुकी सी राह तुझे भुलाने के लिये ।
आरती
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