दर्द ये गुजर क्यों नहीं जाता?

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

दर्द ये गुजर क्यों नहीं जाता?

अपनी हद से गुजर क्यों नहीं जाता
वक्त ये गुजर क्यों नहीं जाता
आता है, आकर ठहर ही जाता है
कैसा दर्द है  गुजर क्यों नहीं जाता

नहीं है फासला कुछ भी
नहीं है दरमियान कुछ भी
जो भी रुका सा है ठहरा सा है
अब भी  गुजर क्यों नहीं जाता
मैं हूँ हैरान,  गुमसुम हूँ
तमाशाबीन भी, तमाशा भी मैं ही हूँ

ये जो भी पल बीत रहा है
बीत ही जाए तो भला
सफर ये गुजर क्यों नहीं जाता
ये आलम,  ये मंजर
कुछ भी तो नहीं सुहाता
ये बेपरवाहियों का मौसम
आकर गुजर क्यों नहीं जाता।

 

मीनू यतिन

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दर्द ये गुजर क्यों नहीं जाता?

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

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दर्द ये गुजर क्यों नहीं जाता?

अपनी हद से गुजर क्यों नहीं जाता
वक्त ये गुजर क्यों नहीं जाता
आता है, आकर ठहर ही जाता है
कैसा दर्द है  गुजर क्यों नहीं जाता

नहीं है फासला कुछ भी
नहीं है दरमियान कुछ भी
जो भी रुका सा है ठहरा सा है
अब भी  गुजर क्यों नहीं जाता
मैं हूँ हैरान,  गुमसुम हूँ
तमाशाबीन भी, तमाशा भी मैं ही हूँ

ये जो भी पल बीत रहा है
बीत ही जाए तो भला
सफर ये गुजर क्यों नहीं जाता
ये आलम,  ये मंजर
कुछ भी तो नहीं सुहाता
ये बेपरवाहियों का मौसम
आकर गुजर क्यों नहीं जाता।

 

मीनू यतिन

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