
बारिश की रात
बारिश की रात
हाथों में हाथ,
चल पड़े थे हम एक दूसरे के साथ,
बारिश की थी वो रात,
कहने आए थे तुम मुझे अपने दिल की बात,
क्या निभाओगी तुम मेरा साथ?
खिल उठी थी मैं सुनकर ये बात I
सोचा था चल पड़ेंगे हम एक दूसरे के साथ,
याद आती है तुम्हारी कहीं वो बात,
जब बारिश की होती है हर रात,
जब चूमा था मेरे माथे को पकड़ कर मेरा हाथ,
नहीं छोड़ेंगे हम कभी एक दूसरे का साथ I
मगर ये हो ना सका,
और रह गई हमारी अधूरी मुलाक़ात,
आज भी याद आती है जब बारिश की होती है रात,
लिपटकर सो जाती हूं मैं, सोचकर वो मुलाकात,
तुम अब जिस किसी के हो, निभाना अब उसका साथ I
धूल जायेगी वो यादे अब वक़्त के साथ,
मगर आज भी याद आ जाती है, बारिश की वो रात,
कही थी जो तुमने, अपने दिल की बात,
क्या निभाओगी तुम मेरा साथ?
स्वेता गुप्ता
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