
फिर एक नई शुरुआत करो
फिर एक नई शुरुआत करो
जब तुम अकेले हो,
तो खुद से ही बात करो।
जब छूट जाओ सबसे पीछे,
फिर एक नई शुरुआत करो।
एक अलग सोच, एक अलग
रास्ता हो,
भीड़ से नहीं, बल्कि खुद से
वास्ता हो।
थक जाओ, तो रूक जाओ,
गिरो तो, संभल जाओ।
ईश्वर साथ है,
मन में यह विश्वास धरो।
फिर एक नई शुरुआत करो।।
ना कोई जीत हो,
ना कोई हार हो।
वक़्त बदलने का
इंतजार हो।
एक एक पग से
काटना है यह सफर,
सब्र का बांधे रखो पर,
कठिनाईयो की तपीश में,
आशाओं की बरसात करो।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
Photo by Junior Machado: https://www.pexels.com/photo/person-riding-horse-3452151/
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