
जवानी

जवानी
जवानी उम्र है उड़ान भरने की
लपक कर मुट्ठियों में आसमान भरने की,
हौसले से लैस बेफिक्र होती है,
कौन कहता है क्या, किसे फ़िक्र होती है,
ये तो उम्र है कुछ कर गुजरने की,
सपनों में डूबने और उबरने की,
सब चाहता है मन, सच जानता नहीं, अपने और बेगानों में फर्क पहचानता नहीं,
ये उम्र है तजुरबे लेने की
बेबाकी से अपने मन की करने की
उम्र है गलतियों की,
सबक की और संभलने की ।।
रचयिता – मीनू यतिन
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