
किरदार
किरदार
कल की कहानी
फिर दुहराती है,
बदलते रहते है
किरदार,
कहानी वही रहती है।
अच्छा अभिनेता,
उसका अभिनय,
लोग सब भूल
जाते है।
बीतते दिनों के साथ,
गम भी भर जाते हैं।
फिर वह दौर आता है,
नया अभिनेता,
उसी किरदार को,
नए अंदाज में
अभिनय दिखाता है।
और लोगों के दिलोदिमाग
पर छा जाता है।
मेरा किरदार खत्म हुआ,
अब किसी और की बारी है,
मंच से उतर कर,
भीड़ में खोने की
तैयारी है।
लोगों के नए रिश्ते,
पुराने दोस्त, संबंधी
वो जगह लेंगे,
तुम्हारी छोड़ी हुई
जगह को उनसे
भरेंगे।
रचयिता
दिनेश कुमार सिंह
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