माँ

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namrata gupta

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

#mothersday2022

 

माँ

माँ तो माँ  होती है

लबो पे जिसके दुआ  होती है

दिल में दबे उनके दर्द

आँखों से बयां होती है

 

माँ तो माँ होती है

बच्चों  की किलकारियां

और मुस्कुराने से

जिनकी शाम -ए -सुबह होती है

 

माँ तो माँ होती है

घुटने से रेंगते -रेंगते

बच्चे कब खड़े हुई

माँ की ममता की छाँव में

बच्चे कब बड़े हुए

एक बच्चे के लिए उसकी माँ

पूरी दुनिया होती है

 

माँ तो माँ होती है

हाथ पकड़के दुनिया घूमना

बिन मांगे ही सब मिल जाना

माँ बच्चों की पहली शिक्षिका होती है

 

माँ  तो आखिर माँ होती है।

 

नम्रता गुप्ता

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माँ

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namrata gupta

28 Jul 20241 min read

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#mothersday2022

 

माँ

माँ तो माँ  होती है

लबो पे जिसके दुआ  होती है

दिल में दबे उनके दर्द

आँखों से बयां होती है

 

माँ तो माँ होती है

बच्चों  की किलकारियां

और मुस्कुराने से

जिनकी शाम -ए -सुबह होती है

 

माँ तो माँ होती है

घुटने से रेंगते -रेंगते

बच्चे कब खड़े हुई

माँ की ममता की छाँव में

बच्चे कब बड़े हुए

एक बच्चे के लिए उसकी माँ

पूरी दुनिया होती है

 

माँ तो माँ होती है

हाथ पकड़के दुनिया घूमना

बिन मांगे ही सब मिल जाना

माँ बच्चों की पहली शिक्षिका होती है

 

माँ  तो आखिर माँ होती है।

 

नम्रता गुप्ता

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