
राखी है धागा स्नेह का

यह कविता मेरे भाई के लिए।।।
राखी है धागा स्नेह का
रिश्ते कितने है सारे
अलग अलग परिभाषा है
स्नेह की डोर थामे बँधे हैं प्यार से
कुछ व्रतों में पर्वों में
कुछ मनाते त्योहार में
राखी का भी एक धागा है
रिश्ता ये भी तो साझा है
एक कसम है एक वादा है ।
माथे पे तिलक का अक्षत का
कलाई पर रक्षा का धागा है
मुंह में घुलती मिठास
हाथ सर पर बहन के आशीष का
साथ का और आस का वादा है ।
बचपन के लडाई झगड़े का
माँ से शिकायत करने का
पापा तक बात न जाए कोई
भाई को बचाए रखने का
उसकी बदमाशी को छुपाए रखने का ।
याद दिला ही देता है ये दिन
बीते वो दिन प्यारे प्यारे
बचपन के पल मेरे तुम्हारे
माँ इंतजार में रहती हैं
बच्चों की हँसी में हँसती हैं
भाई के चिढाने पर चिढ़ने का
पापा के मुस्करा देनेका
हर बरस बाधूँ ये धागा
घर का रौशन चिराग रहे
भाभी का बना सौभाग्य रहे
ये कलाई तुम्हारी सलामत रहे
हर बहन का भाई सलामत रहे ।।
मीनू यतिन
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