लम्हा

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

Published in poetry

लम्हा

सहमा हुआ सा लम्हा
ठिठका हुआ सा लम्हा
बरसों की उम्र सा है
ठहरा हुआ सा लम्हा।

जो जाकर भी
कभी जा नहीं पाया
बहुत बेचैनी भरा था
वो गुज़रा हुआ सा लम्हा।

उसकी तड़प ,
उसकी सदा में
गूँज उठती है
दिल की गहराईयों में
उतरा हुआ सा लम्हा।

चाहो कि समेट लो
एक बार में ,
कतरा कतरा सा
उतरता है
पिघला हुआ सा लम्हा।

मौत छीन लेती है
जिंदगी से,
जिंदगी जैसे लोग
जी लो सारे लम्हे,
साथ अपनों के
लम्हों में जिदंगी है या
है जिंदगी सा लम्हा ।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

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लम्हा

सहमा हुआ सा लम्हा
ठिठका हुआ सा लम्हा
बरसों की उम्र सा है
ठहरा हुआ सा लम्हा।

जो जाकर भी
कभी जा नहीं पाया
बहुत बेचैनी भरा था
वो गुज़रा हुआ सा लम्हा।

उसकी तड़प ,
उसकी सदा में
गूँज उठती है
दिल की गहराईयों में
उतरा हुआ सा लम्हा।

चाहो कि समेट लो
एक बार में ,
कतरा कतरा सा
उतरता है
पिघला हुआ सा लम्हा।

मौत छीन लेती है
जिंदगी से,
जिंदगी जैसे लोग
जी लो सारे लम्हे,
साथ अपनों के
लम्हों में जिदंगी है या
है जिंदगी सा लम्हा ।

 

मीनू यतिन

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