
अब इंतजार नहीं

अब इंतजार नहीं
दो तरफा से प्यार कब
एक तरफा हुआ
पता ही नहीं चला।
तुम बीच राह हाथ छोड़ गए
मैं भीड़ में अकेली
खडी़ रही कब तक
तुम्हारे इतंजार में
पता ही नहीं चला।
तुमने कब वादे किए
कब कसमें तोडी़
पता ही नहीं चला
कब ख्वाबों के परिदें
एक एक आँखों से
ओझल हो गए
पता ही नहीं चला।
पता चला तो बस इतना
कब दिल का वो
कोना सुनसान हुआ
आज भी खाली वीरान है
पर अब उन गलियों को
किसी का भी इतंजार नहीं।
मीनू यतिन
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