
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
कुछ मलाल नहीं है ज़िन्दगी से,
बहुत कुछ दिया है इस जिंदगी ने।
कभी ख़ुशी के आँसू
कभी दुःख मे भी हँसी
हर रोज कुछ नया सीखने को मिला है इस जिंदगी से।
कभी मन कुछ बेचैन – सा हो उठता है
क्या है हमारी पहचान, बस यही ढूंढ़ता है,
पहचान की तू फ़िक्र मत कर
बस कर्म करते जा।
कभी – कभी अपने लोग ही
खफा हो जाते है अपनों से
वास्तविकता को छोड़, जीने लगते है सपनों में।
कभी अहम् के कारण
कभी अविश्वास के कारण
रिश्तों का ताना – बाना चलता रहता है
इन रिश्तोंके उधेड़बुन मे भी
आगे ही बढ़ते रहना है।
हर समय उम्मीद की किरणें मिल रही है इस ज़िन्दगी से,
फिर से आगे बढ़ने का जज़्बा
मिला है इस जिंदगी से
हर रोज कुछ नया सीखने को मिला है इस जिंदगी से।
नम्रता गुप्ता
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