
आज की नारी
आज की नारी
तुम अबला नहीं हो
तुम नादान नहीं हो
तुम दूसरों के द्वारा
दी हुई पहचान नहीं हो
तुम स्वाभिमान से जीने वाली
आज की नारी हो।
इस पुरुष प्रधान समाज
तुमने भी टक्कर दी है उनको
जो कार्य केवल पुरुष करते आए
वो कार्य भी करके तुमने दिखलाया
नाजुक -सी प्रतीत होती हो पर
पुरुषो पर भारी हो
तुम आज की नारी हो।
हर मैदान में तुमने अपना पाँव पसारा है
खेल जगत में भी तो तुमने बाज़ी मारा है
तुम ममतामयी माता हो, पुत्री हो, बहन हो
व्यापार जगत में पाँव पसारने वाली
एक व्यापारी हो,
तुम आज की नारी हो।
नम्रता गुप्ता
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