
वो माँ है…
वो माँ है…
उसका होना सबका सुकून है,
और आसपास न होना सबकी बैचैनी
घर के साथ दिल में भी बस जाती है
वो माँ है जो सब सहती जाती है।
गर्भावस्था का 9 महीने का लंबा सफर
उल्टी,चक्कर जैसी कई तकलीफों में बसर
पर जब उस नन्ही जान को देखा तो
सारे गम बच्चे की मुस्कान में भूल जाती है
वो माँ है….
रातों को नींद नहीं, दिन में आराम नहीं,
सबके मशवरे कि ये गलत ये सही
नई नई माँ की उलझन कोई नहीं समझता
सारे दर्द सहकर भी धीमे से मुस्काती है
वो माँ है…..
पति, घर,बच्चे और अनगिनत रिश्तों में उलझी,
घर और ऑफिस सँभालने की गुत्थी कभी नही सुलझी,
कोई घर में बीमार पड़े तो भागे डॉक्टर के पास
पर माँ बीमार होकर भी घर में खटती जाती है
वो माँ है….
बच्चे बड़े होकर अब कहाँ बात मानते हैं,
सब समझते है माँ कुछ नहीं जानती है
कभी माँ सोचे कि दिल की आज सुन लूँ
तो न जाने क्यों सबकी भौंहे तन जाती है।
वो माँ है…
कोई नहीं सोचता माँ को भी आराम चाहिये,
सबकी परवाह करनेवाले को भी परवाह चाहिये।
तुम्हारी बुलन्दी में एक हिस्सा माँ का भी है
पैसे नहीं सिर्फ प्यार से ही वो मान जाती है
वो माँ है….
पूरा जीवन घरवालों की सेवा में लगाती है,
जिंदगी की दौड़ में भागती चली जाती है।
वो माँ है जनाब खुद सारे गम सह लेती है
पर अपने परिवार को हर तूफान से बचाती है
वो माँ है…..
आरती
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