
एक चुस्की चाय की कीमत
एक चुस्की चाय की कीमत
“चाचा के यहाँ जाना है!” श्रीमती जी का यह घोषणा होते ही , बच्चे चिड़ियों की तरह चहकने लगे। उन्हें तो बस घर से बाहर निकलने का बहाना चाहिए। पर खासकर उन्हें चिकन खाने का भी मौका मिले, बिरयानी, चिकन 65, लॉलीपॉप, इत्यादि। मुँह में पानी आ गया।
पर मेरे मुँह में पानी चिकन खाने के ख्याल से नही आया, बल्कि एक अच्छी चाय पीने के ख्याल से आया। बच्चों की चाची अर्थात मेरे दोस्त की पत्नी ‘इंदु’ काफ़ी बढ़िया चाय बनाती है। इतना की, कॉफी भी शर्मा जाए। दूध को धीमी आंच पर खौलाना, सही समय पर सही मात्रा में चायपत्ती और शक्कर मिलाना, और धीरे धीरे चाय को पकने देना। इंदु की चाय की सही सामग्री है, “धैर्य अर्थात patience”. अमूमन आधा घंटा लग जाता है। पर अच्छी चाय के लिए यह तो कुछ भी नहीं।
“एक चुस्की चाय की कीमत, तुम क्या जानो दिनेश बाबू”! पर जब चाय चीनी के कप से होते हुए होठों को छूती है, तब एहसास होता है कि चाय बनाना भी एक कला है।
एक प्याला चाय खत्म होते ही दूसरे प्याले की आस बढ़ जाती है। पर यह तो नसीब पर निर्भर करता है कि मांगने वाले कितने और चाय बची कितनी है। पर ज्यादातर कर मुझे दूसरा कप तो मिल ही जाता है।
दिनेश कुमार सिंह
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