
हैं जिंदगी कितनी खूबसूरत
हैं जिंदगी कितनी खूबसूरत
हैं जिंदगी कितनी खूबसूरत,
तुझे ये अब तक पता नहीं है।
जिन्हें था चाहा, ना पा सके हम,
अब उसका कोई गिला नहीं है।
ऐ जिंदगी तूं सिखा रहीं है,
मुझ ही पर मेहर बरसा रहीं है।
ढूंढती थीं जिन्हें ये नजरें,
उन्हें ये अब तक पता नहीं है।
गमों का आना-जाना रहेगा,
खुशियां तुझ पर लुटा रहीं है।
थीं उनकी खुशबू सांसों में,
उनका अब कोई ख़बर नहीं है।
क्यों औरों में प्यार ढूंढे,
यही वो मुझको दिखा रहीं है।
हम ही ने मांगा था हमसफर वो,
जिन्हें दिल की अहमियत नहीं है।
हमें था लगा के आजमाएं,
मगर वो क़िस्मत बदल रहीं है।
जिन्हें था माना हमने ज़ालिम,
वो आज गले लगा रहीं है।
हैं चिराग लेकर हम थे बैठें,
ये आतिशबाजियां करा रहीं है।
मैं खुद की धड़कन को ना समझ सकी थीं,
वो सबके दिलों को धड़का रहीं है।
हैं जिंदगी कितनी खूबसूरत,
तुझे ये अब तक पता नहीं है।
रचयिता – स्वेता गुप्ता
Photo by Andrea Piacquadio: https://www.pexels.com/photo/woman-open-arms-while-closed-eyes-smiling-photo-712413/
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