
एक रिश्ता

एक रिश्ता
अजब सा रिश्ता
रहा है तेरा -मेरा
याद रखा भी नहीं
और भुलाया भी नहीं ।
तुझे अपना कहता नहीं
और तू पराया भी नहीं ।
तू न हिस्सा है मेरे दिल का
मेरा साया भी नहीं।
जाने क्या कर्ज है तेरा मुझ पर
कभी कुछ चुकाया,भी नहीं
और लगता रहा कि
कुछ बकाया भी नहीं ।
तू कोई और नहीं
तू मैं ही तो हूँ
यही एक रिश्ता मैंने शिद्दत से
निभाया ही नहीं।
मीनू यतिन
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