पल..

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

Published in poetry

पल..

गुजर गए जो लम्हे
वो कहाँ वापस आते हैं
फिर कहाँ मिलते हैं
वो पल, जो बीत जाते हैं
कभी भूली बिसरी
बातों में नाम आ जाते हैं

धुधँली सी तसवीर
बनती है यादों की,
बिगड़ जाती है
ये बात भी अजीब है न
जो बीत चुका है उस पल को
बार बार दोहराती है
जिंदगी, तू पगली सी हुई जाती है
मालूम है ,एक बार जो बीता
बस बीत गया,
वो पल कहाँ लौट पाता है
पगला सा मन करे बचपना
बाहें फैलाए बस उसे बुलाता है ।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

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पल..

गुजर गए जो लम्हे
वो कहाँ वापस आते हैं
फिर कहाँ मिलते हैं
वो पल, जो बीत जाते हैं
कभी भूली बिसरी
बातों में नाम आ जाते हैं

धुधँली सी तसवीर
बनती है यादों की,
बिगड़ जाती है
ये बात भी अजीब है न
जो बीत चुका है उस पल को
बार बार दोहराती है
जिंदगी, तू पगली सी हुई जाती है
मालूम है ,एक बार जो बीता
बस बीत गया,
वो पल कहाँ लौट पाता है
पगला सा मन करे बचपना
बाहें फैलाए बस उसे बुलाता है ।

 

मीनू यतिन

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