
बारिश
#MONSOON2022
बारिश
तो क्या हुआ जो तार तार है मेरा आँचल,
तो क्या हुआ जो बेज़ार है मेरा चेहरा,
तू एक बार जम के बरस और धो दे ये दर्द,
कोई दाग होता भी नहीं इतना गहरा,
जितनी गहरी मुझे जीने की तलब है, ऐ जिंदगी!
तू एक बार तो बरस, मुझे जीने की बड़ी तलब है।
माना की अंधेरे रातों ने साथ निभाया है मेरा,
माना की अपने ही दिल तार तार कर चले,
तू एक बार जम के बरस और सींच दे ये ज़ख्म,
कोई ज़ख्म सख़्त इतना भी नही की न गले,
जितनी हसरत तुझे जीने की है, ऐ ज़िन्दगी!
तू एक बार तो बरस ,मुझे जीने की बड़ी तलब है।
जानती हूँ इस सब के बाद भी कई दाग रहेंगें,
जानती हूँ इस सब के बाद भी कई ज़ख्म रिसेंगे,
तू बार बार जम के बरस और बहा ले जा ये ग़म ,
कोई ग़म नहीं जो समय के साथ भर ना सकेंगे,
जितना जूनून तुझे फिर पाने की है, ऐ ज़िन्दगी!
तू एक बार तो बरस ,मुझे जीने की बड़ी तलब है।
स्वरचित एवं मौलिक
©अपर्णा
Photo by Rio Kuncoro: https://www.pexels.com/photo/photo-of-woman-holding-black-umbrella-2737331/
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