
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी,
मन, मोर भटक भटक
जायो रे,
अमावस की कारी कारी
रात, चाँद नज़र नही आयो रे।
पर रोशन हुई यूँ
अयोध्या पुरी,
जैसे धरती पर स्वर्ग
उतर आयो रे।।
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी।
चौदह बरस का बनवास यूँ
बीतो,
चौदह जनम, ज्यों गवांयो रे।
राम लखन सीता संग जैसे,
अयोध्या ने भी बनवास पायो रे।
रामसिया के आते ही,
अयोध्या के प्रान भी
लौट आयो रे।
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी।।
राम बनेंगे राजा आज,
शुभ घड़ी वो आयो रे,
धन्य धन्य है भाग हमारे,
राम राज्य जो हम
देख पायो रे।
नगर नगर, और हर डगर डगर,
सिर्फ दिप ही दिप दिखायो रे,
हर महल, हर अटारी पर,
दिप आवली सजायो रे।
आज अंधेरी रतिया में भी,
दिन का प्रकाश पायो रे।
आज सजी यूँ अयोध्या पुरी,
त्योहार दीपावली आयो रे।।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
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