
ढूंढती आँखे
#mothersday2022
ढूंढती आँखे
भीड़ में, इनसे शायद ही
कोई बच पाता है,
पर ढूंढती आँखों को,
वह चेहरा नज़र नहीं आता है।
आते जाते, सबसे कर रहा हूँ
दुआ सलाम,
पर खुद की सलामती पर
सवाल उठ जाता है।
एक ही तो शब्द है
तेरे उच्चारण में माँ, ।।2।।
पर सारे संसार का भाव
सिर्फ इसी से आता है।
बरसों बीत गए तेरे जाने को माँ,
पर यह दिल आज भी,
स्वीकार नहीं कर पाता है।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
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