मंजिल

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storyberrys

20 Mar 20251 min read

Published in poetry

मंजिल 

ये धरती ये अंबर ,
ये रंगीन नज़ारा ,
है ऊंची अडिग हैं ,
ये पर्वत की चोटी ,
मुझसे ये कहती बड़ी दूर मंजिल ,

ये लंबा सा रास्ता ,
हरे पेड़ लंबे ,
कहती॔ हैं मुझसे ,
सफर दूर का है,

पलकें झुकाके मगर मैंने सोचा ,
ये नील आकाश ये लंबा रास्ता ,
और तो ये पर्वत की लंबी चिटारी ,
सब तो क्षितिज से बंधे ही तो हैं !!

कदम से कदम हम मिलाकर चले ,
झुकेगा वह अंबर ,
छू लेगी ज़मीन ,
गुम हो जाएगा तू सफलता की वादियों में ,

फूलों कि शैय्या में जीवन बितेगा ,
खुला है गगन ,
खुला रास्ता है ,
जा जाके मिल ,
जीत ले अपनी मंजिल   ।।

कल्याणी

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मंजिल 

ये धरती ये अंबर ,
ये रंगीन नज़ारा ,
है ऊंची अडिग हैं ,
ये पर्वत की चोटी ,
मुझसे ये कहती बड़ी दूर मंजिल ,

ये लंबा सा रास्ता ,
हरे पेड़ लंबे ,
कहती॔ हैं मुझसे ,
सफर दूर का है,

पलकें झुकाके मगर मैंने सोचा ,
ये नील आकाश ये लंबा रास्ता ,
और तो ये पर्वत की लंबी चिटारी ,
सब तो क्षितिज से बंधे ही तो हैं !!

कदम से कदम हम मिलाकर चले ,
झुकेगा वह अंबर ,
छू लेगी ज़मीन ,
गुम हो जाएगा तू सफलता की वादियों में ,

फूलों कि शैय्या में जीवन बितेगा ,
खुला है गगन ,
खुला रास्ता है ,
जा जाके मिल ,
जीत ले अपनी मंजिल   ।।

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