आज की नारी

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arati samant

17 Aug 20242 min read

Published in poetry

आज की नारी

बदलते हवाओं की दिशा में, वह भी आगे निकल रही है।
देश बदला और समाज बदला,
तो आज की नारी भी बदल रही है।

घर में बच्चे हो या ऑफिस की टीम ,
वो बखूबी दोनों संभाल लेती है ।
शादी के बाद ससुराल हो या ट्रांसफर के बाद नया ऑफिस,
वह सबके हिसाब से खुद को ढाल लेती है ।

कभी अपने पार्टनर को सरप्राइज ट्रीट दे,
तो होटल का बिल भरना भी जानती है ।
और अपनी रोजमर्रा जिंदगी से ब्रेक लेकर ,
दोस्तों के साथ chill करना भी जानती है |

ऑनलाइन पेमेंट्स हो या इन्वेस्टमेंटस ,
फैमिली टूर में होटल रूम भी Reserve करती है ।
Sacrifices नहीं ,वो हर उस चीज का credit लेती है जो वो deserve करती है।

मौकों पर सिर्फ सूट, साड़ी नहीं ,
कभी कभी shorts और gown भी पहन लेती है।
वो खुद ही अपनी फ़ेवरेट है,
तो अपने आपको रानी समझ Crown खुद ही पहन लेती है।

घर परिवार के साथ साथ खुद को value देना भी जानती है ,
हमेशा दिमाग की न सुनकर दिल का कहा भी मानती है।

आज की नारी के साथ इतनी आसानी से तुम खेल नहीं पाओगे,
हमारे 6th sense का कोई जवाब नहीं,
अपने पर आए तो हमें झेल नहीं पाओगे।

पढ़ लिख कर अपने पैरों में खड़ी,
आत्मनिर्भर बन वह खुद संभल रही है ।
देश बदला और समाज बदला
तो आज की नारी भी बदल रही है ।

_ आरती सामंत

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arati samant

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आज की नारी

बदलते हवाओं की दिशा में, वह भी आगे निकल रही है।
देश बदला और समाज बदला,
तो आज की नारी भी बदल रही है।

घर में बच्चे हो या ऑफिस की टीम ,
वो बखूबी दोनों संभाल लेती है ।
शादी के बाद ससुराल हो या ट्रांसफर के बाद नया ऑफिस,
वह सबके हिसाब से खुद को ढाल लेती है ।

कभी अपने पार्टनर को सरप्राइज ट्रीट दे,
तो होटल का बिल भरना भी जानती है ।
और अपनी रोजमर्रा जिंदगी से ब्रेक लेकर ,
दोस्तों के साथ chill करना भी जानती है |

ऑनलाइन पेमेंट्स हो या इन्वेस्टमेंटस ,
फैमिली टूर में होटल रूम भी Reserve करती है ।
Sacrifices नहीं ,वो हर उस चीज का credit लेती है जो वो deserve करती है।

मौकों पर सिर्फ सूट, साड़ी नहीं ,
कभी कभी shorts और gown भी पहन लेती है।
वो खुद ही अपनी फ़ेवरेट है,
तो अपने आपको रानी समझ Crown खुद ही पहन लेती है।

घर परिवार के साथ साथ खुद को value देना भी जानती है ,
हमेशा दिमाग की न सुनकर दिल का कहा भी मानती है।

आज की नारी के साथ इतनी आसानी से तुम खेल नहीं पाओगे,
हमारे 6th sense का कोई जवाब नहीं,
अपने पर आए तो हमें झेल नहीं पाओगे।

पढ़ लिख कर अपने पैरों में खड़ी,
आत्मनिर्भर बन वह खुद संभल रही है ।
देश बदला और समाज बदला
तो आज की नारी भी बदल रही है ।

_ आरती सामंत

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