
हिंदी है प्रेम की भाषा
हिंदी है प्रेम की भाषा
हिंदी है सबसे प्यारी
इसकी रचना सबसे निराली ,
राष्ट्रभाषा मे विविधता न्यारी
आओ सुनो मेरी जुबानी।
अनल और अनिल एक समान नही होते
इ की मात्रा से दूर हुए दो शब्द है ये
गुर और गुरु मे फर्क कम है लेकिन
इनके अर्थ दो अलग अलग है !
हिंदी में मुहावरे की खासियत कुछ और है
अंधे की लाठी से, नाक रगड़ना तक सब मुहावरे है !
पर्यायवाची और विलोम शब्द है इतने सारे
कृष्णा जी को कहते है मोहन, गोपाल, गोविन्द और वासुदेव!
ऐसे बनते है हिंदी के वाक्य और शब्द
जो जोड सके भारत को हर पल!
लोला नागले
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